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An individual with aspirations to achieve the pinnacle. I love to work for an outcome which rewards me my peers and my society. My favoirite lines "They alone live who live for others rest are dead than alive" I believe... God has a plan for my life..and thats all i need to know. I feel... If nothin is permanent then why crave for or avert things... I wonder... If MRP is "maximum" retail price.. then why dont i bargain... I feel... Love is not understood to be a crush..until it hurts. I feel... Worrying works...90% of the things i worry about DO NOT work.. I don't know why... People get mad in love...and get heart attacks due to tension... if Love is felt in the heart and tension in the brain..!!! I feel.. People who are organised..are too lazy to look for things!! I Think....... ...Therefore I am!!!

Friday, October 2, 2020

प्रत्युत्तर प्रदेश

 #प्रत्युत्तर प्रदेश 


उत्तर प्रदेश तुमसे प्रत्युत्तर की चाहत हैं ,

कथनी और करनी में अंतर हैं ऐसी एक कहावत हैं ।।


हाथरस और बलरामपुर की बेटी माँगती इंसाफ़ हैं ,

अब भी जाती धर्म की बात करोगे . मतलब मंशा साफ़ हैं ।


कभी बलात्कारी ठाकुर कभी मुसलमान बताते हो 

दलित की बेटी ,जाती और धर्म बोलकर क्या छुपाते हो ।।


Police वाले तो शुरू से प्यादे हैं 

शांति लाना और सुरक्षा दिलाना तुम्हारे वादे हैं ।


योगी का धर्म तुम मत याद दिलाओ 

मुख्यमंत्री की शपथ ली और बस वही बतलाओ ।


उत्तर प्रदेश हो या राजस्थान बेटी किसी बाप की हैं 

गंदी राजनीति हम जानते हैं आपकी और आपकी  हैं ।


जब तक बेटियाँ और बलात्कार विपक्ष और पक्ष का मुद्दा बनाया जाएगा 

देश में मानवता को और भी शर्मसार कराया जाएगा । 


बेटी को बचाना और पढ़ाना सबकी ज़िम्मेदारी हैं 

किंतु दुर्भाग्य से ये किसी के लिए जुमला और किसी की लाचारी  हैं ।


जिस दिन मेरा दोस्त ग़लत को ग़लत बुलाएगा 

और पार्टी और धर्म देख कर नहीं अपराध देख कर ज़ोर  आवाज़ लगाएगा ।


गंदी राजनीति अपने आप जाएगी, 

आपको किसी के लिए बचाव के लिए इधर उधर किधर की पोस्ट की ज़रूरत नहीं आएगी 


राज धर्म को याद कर . अब बस नैतिक बात  कर 

कर दिखा जो  सही हैं . चुनाव तो  नहीं हैं पर सही वक्त यही हैं ।

श्री विष्णुपद गया जी ।

 कुछ खबरें पढ़ रहा था , गया श्री विष्णुपद वेदी , जिसे आम बोलचाल की भाषा में विष्णुपद मंदिर के रूप में भी जाना जाता हैं । इसके प्रबंधन रख रखाव और विकास हेतु किसी सज्जन ने जन हित याचिका दायर की । कई सहस्त्र शताब्दियों पुरानी ये वेदी (जहां पिंड प्रदान किया जाता हैं) का कई धार्मिक ग्रंथ में भी इसका वर्णन हैं । 

मैं आज कुछ साक्ष्य जो की मैंने मेरे दादाजी स्वर्गीय श्री कन्हैया लाल चौरसिया जी के ९० के दशक में स्थानीय कोर्ट में दिए गए वक्तव्य और उनके बताए गए कुछ तथ्य, मशहूर इतिहासकार एवं मानव विज्ञानी  (ऐन्थ्रॉपॉलॉजिस्ट) ललिता प्रसाद विद्यार्थी की किताब #गया_एक_सांस्कृतिक_नगर में वर्णित उनकी विधिवत गवेषणा, स्वर्गीय नरमादेश्वर प्रसाद की पुस्तक The Gayawals of Bihar एवं अन्य कई ऐतिहासिक पुस्तकों में वर्णन हैं । 

१)गया का वास्तविक महत्व गयासूर को श्री विष्णु द्वारा दिया गया एक पिंड और एक मुंड के वरदान के कारण हैं , चिर काल से गया जीं में लोग अपने पितरों का पिंड प्रदान कर रहे हैं । 

२) हिंदू संस्कृति में १०८ पुराण के अनुसार गयाजी में १०८ वेदी की स्थापना की गयी जो समय एवं विभिन्न आक्रमनकारियों के विध्वंस और समय के प्रभाव से सिर्फ़ ४५ वेदी आज के दौर में  बचे हुए  हैं ।

३) इन वेदियों में विष्णु पाद अर्थार्थ विष्णु जी के चरण चिन्ह का सर्वाधिक महत्व हैं और पिंड प्रदान की समस्त विधियों में श्री विष्णुपाद वेदी पर पिंड प्रदान  सर्वाधिक महत्व हैं ।

४) १७वि शताब्दी में शिव भक्त महारानी अहिल्या बाई होलकर जब गया आयीं तो उन्होंने गया में शिव मंदिर  के निर्माण हेतु कार्य आरम्भ किया और श्री विष्णु पर्वत पर जिसे आज विष्णु पद रोड और अहिल्या बाई रोड में रूप में जाना जाता हैं। 

५) वैष्णव भक्ति का केंद्र गया और गयवाल समाज को जब इसकी जानकारी मिली तो उस समय आज के भैया जी ख़ानदान के पूर्वज महारानी अहिल्या बाई होलकर से जा कर मिले और ऊनसे गयाजी में श्री विष्णुपद वेदी में जीर्णोद्धार का निवेदन किया । 

६) आज की १४ साइयाँ गयापाल समाज ने जो चिर काल से श्री विष्णु पद वेदी एवं अन्य समस्त वेदी की सेवा करते आए हैं महारानी के इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया । 

७) महारानी ने ना सिर्फ़ आज के भव्य विष्णुपद वेदी (मंदिर) का निर्माण कराया गयावाल पंडा समाज जो कई हज़ार वर्षों से श्री विष्णु की सेवा में लगे हुए थे उन्हें भगवान विष्णु के इस भव्य मंदिर और विष्णुपद वेदी के सेवा का अधिकार दिया । साथ ही साथ अनंत काल से चलती आ रही प्रथा जिसमें गयावाल समाज समस्त वेदियों की रक्षा और सेवा करता आ रहा हैं उसे जारी रखा ।

८) ९० ke दशक में भी जब धार्मिक न्यास ने इसे मंदिर बता कर इसे  अपने अधिकार क्षेत्र मे लेना चाहा माननीय न्यायालय ने गयावाल समाज के पक्ष  में निर्णय लिया ।

९) कई इतिहासकार और मानव विज्ञानी ने अपने पुस्तकों में इसकी चर्चा की हैं । 

१०) विष्णु पुराण  गरुड़ पुराण एवं गया माहात्म्य में भी इसका वर्णन हैं और ये तथ्य ही सत्य हैं इसकी अनेक बार पुष्टि हुई हैं ।

अंततः मैं तथ्यों के आधार पर और धार्मिक ग्रंथ के अनुसार, श्री विष्णुपद वेदी गया जी का हृदय क्षेत्र हैं । गयापाल समाज वर्षों से श्री विष्णु को सेवा करता आया हैं । 

बिहार सरकार गया पाल समाज को उपेक्षित कर गया के इस प्राचीन तीर्थ स्थल एवं मोक्ष केंद्र को धार्मिक न्यास को सौंपना चाहती हैं जो अवांछनीय हैं । मेरा निवेदन हैं को वर्षों की परम्परा को ध्यान में रखते हुए एवं समाज कल्याण हेतु बिहार सरकार एवं भारत सरकार एक उचित कदम उठाए ।




राहुल चौरसिया 

२ October २०२०

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