मैं ग़लत हूँ मगर तुम्हारी गलती ज़्यादा थी ।
बम्बई ने किया मगर UP वाले थे अगर ।।
कंगना की बात पर , जामिया को याद कर,
बैंगलोर बोल दिया तो गुजरात क्यूँ छोड़ दिया ।।
आज की जमात पर , बस संघियो से निजात कर ।
गीता तो जलेगी मगर , तू मेरे शरीफ़ की ना बात कर ।।
जज़्बात मेरे बोल हैं । प्रबुद्ध मेरा खोल हैं ,
मेरे आवरण को खंगाल कर , मेरे देश पर ना बात कर ।
मेरा धर्म मेरा देश हैं , हम ४ में से एक हैं
तुम जात हो तुम पात हो
मेरी नीति तुझपे राज हैं
इतिहास का आगाज हैं
एक ताज विश्व के ७ पर
दक्षिण के कला की बात कर ।।
चादर चढ़ा तू प्रबुद्ध हैं ,
गंगा स्नान करता तू क्षुब्ध हैं ।
तू प्रयोग इतिहास का
तुझे बाँटना मेरा काम हैं
यह देश था श्री राम का
अब सत्य ही श्री राम हैं
तुझे गर्त में डूबा सकूँ
वो प्रबुद्ध , नैतिक काम हैं ।
तू याद रख तू मौन था
जोहार तेरा इतिहास हैं
जोधा गयी जिस द्वार पर
इतिहास हैं .. परिहास हैं ।
मैं दंग हूँ हैरान हूँ ,
वक्त से परेशान हूँ
बाला हैं तेरे रक्त में
तू अस्मिता की पहचान हैं
पर आज के खेल में
सत्ता के रेलम पेल में
तू याद रख तू बात रख
ना तू धर्म की पहचान हैं
ना मँजहब की शान हैं ।
तू बोल मत , तू क्षुब्ध हैं
याद रख ... वो प्रबुद्ध हैं ।
A small satire by me for those who can understand.
प्रबुद्ध - Intelligent , छुब्ध - useless or with no value
Rahul Chaurasia
10 Sep 2020